नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच रेलवे ने पत्रों, बिलों, कार्यालय आदेशों, परियोजना ड्राइंग जैसे 12 लाख दस्तावेज और चार लाख से अधिक फाइलों का डिजिटलीकरण कर दिया। रेलवे ने जहां अपने कर्मियों द्वारा पारंपरिक ढंग से होने वाले संचालन कार्य को खत्म कर अधिकारियों के बीच आपसी संपर्क को कम किया। वहीं संचालन लागत भी कम कर दी। रेलवे के ई-कार्यालय का उपयोग महामारी के कदम रखने के बाद से कई गुना बढ़ गया है।
ई रसीद की संख्या मार्च, 2019 से लेकर मार्च, 2020 तक 4.5 लाख से बढ़कर इस साल अप्रैल-जुलाई में 16.5 लाख हो गई। इस प्रकार इस अवधि में ई-फाइलों की संख्या 1.3 लाख से बढ़कर 5.4 लाख हो गई। रेलटेल द्वारा प्रदत्त ई-कार्यालय क्लाउड आधारित सॉफ्टवेयर है, जिसे राष्ट्रीय सूचना केंद्र ने विकसित किया है। इसका लक्ष्य सरकारी फाइलों एवं दस्तावेजों का भरोसेमंद, कुशल एवं प्रभावी संचालन तथा रखरखाव करना है।
रेलटेल के सीएमडी पुनीत चावला ने कहा कि ई-कार्यालय की उपलब्धता के कारण रेलवे में जयादातर फाइल-कार्य कार्यालयों में शारीरिक उपस्थिति के बगैर ही आसानी से हो जाता है, जो इस संकट के दौर में एक वरदान है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस पर हुआ प्रशिक्षण : चावला ने कहा, '' लॉकडाउन के दौरान काम पूरा करना एक बड़ी चुनौती था क्योंकि संसाधनों की आवाजाही सीमित थी। हम संभागीय कार्यालय नहीं जा सकते थे और क्रियान्वयन कार्य दूर से ही करना था और यह बड़ा वक्त लेने वाला काम था। इस क्रियान्वयन का अहम हिस्सा अधिकारियों को इस मंच का सही ढंग से उपयोग करने का प्रशिक्षण था। '' उन्होंने कहा कि चूंकि रेलटेल अधिकारियों और रेलवे के उपयोगकर्ताओं के बीच आमने-सामने संपर्क संभव नहीं था, इसलिए सारा प्रशिक्षण कार्य वीडियो कॉन्फ्रेंस और कॉल सहयोग के माध्यम से दूर से ही किया गया।