चीन के कोरोनावायरस से पूरी दुनिया परेशान है, मौतों का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। आलम ये हो चुका है कि जो देश मेडिकल सुविधा से जितने अधिक संपन्न थे वहां उतनी अधिक मौतें हो चुकी हैं। इनमें अमेरिका का नाम सबसे आगे है।
डॉक्टर नहीं ले रहे कोरोना पॉजिटिव मरीज
अब कई देश अपने यहां ऐसे मरीजों को लेने से ही मना कर दे रहे हैं जिससे मौतों का आंकड़ा और बढ़ रहा है। बेल्जियम जैसे देश से अब ऐसी ही खबरें आ रही हैं। वहां के अस्पतालों में डॉक्टर अब कोरोना पॉजिटिव मरीजों को लेने से ही मना कर दे रहे हैं जिससे मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सबसे अधिक परेशानी सीनियर सिटीजनों को उठानी पड़ रही है। डॉक्टर उन्हें अपने यहां एडमिट ही नहीं कर रहे हैं। कई जगहों से ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे बल्कि वो परिजनों से मरीज के लिए भगवान से दुआ मांगने को कह रहे हैं।
एक अस्पताल में तीन सप्ताह में 8 लोगों की मौत
शर्ली डॉयेन ब्रुसेल्स के क्रिस्टालियन नर्सिंग होम में अपने भाई के साथ एक नर्सिंग होम चलाती है। इस अस्पताल में अब सिर्फ कोविड-19 से संक्रमित मरीज ही आ रहे हैं। बीते तीन सप्ताह में उनके इस अस्पताल में 8 निवासियों की मौत हो चुकी है। ऐसे मौके पर उनके अस्पताल में सुरक्षा के लिए कुछ स्टॉफ सिर्फ गाऊन और चश्मा ही पहनकर आ रहे हैं। मगर उनके पास कोई मदद नहीं पहुंच रही है।
डॉयेन ने अस्पतालों से मांग की कि वो उनके यहां के कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज अपने अस्पताल में करें मगर कोई मदद नहीं पहुंच रही है। उनको मदद के लिए मना कर दिया जा रहा है। कई बार अस्पताल प्रबंधन की ओर से उनसे कहा गया कि मौत को आने दें, एक बार उनको ऐसे मरीजों के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा गया।
मरीजों को इलाज देने के लिए मांग रहे मदद
डोयेन ने अपने संक्रमित निवासियों को इकट्ठा करने के लिए अस्पतालों से भीख मांगी थी। उन्होंने मना कर दिया। कभी-कभी उसे मॉर्फिन देने और मौत को आने देने के लिए कहा जाता था। एक बार उसे प्रार्थना करने के लिए कहा गया था। फिर, 10 अप्रैल की सुबह, यह सब खराब हो गया।
इसके बाद 10 अप्रैल को संक्रमितों की मौत होने लगी। सबसे पहले मरीज की मौत 1.20 बजे हुई, उसके तीन घंटे बाद दूसरे मरीज की मौत हो गई। उसके बाद एक और मरीज ने दम तोड़ दिया। डॉयेन के यहां से अस्पताल से एंबुलेंस भेजने के लिए फोन किया जाता रहा मगर वहां से कोई गाड़ी नहीं भेजी गई।
डॉयेन ने कोविड-19 से संक्रमित 89 वर्षीय अडोलरटाटा बालदूकी (Addolorata Balducci) की खोज की। अडोलरटाटा बालदूकी के बेटे बलू फ्रेंको पचियोली ने मांग की कि उनकी मॉ की देखभाल के लिए पैरामेडिक्स को बुलाया जाए। एक तरह से उन्होंने अपनी मॉ को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए भीख मांगी मगर कोई फायदा नहीं हुआ। फिर उन्होंने अपनी मॉ को मॉर्फिन दवा की एक डोज दी।
थोड़ी देर बाद पैरामेडिक्स ने जवाब दिया कि तुम्हारी मॉ मर जाएगी। इसके कुछ घंटे बाद ही उनकी मौत हो गई। बेल्जियम में चिकित्सा का इतना बुरा हाल है कि यहां के पैरामेडिक्स और अस्पताल कभी-कभी बुजुर्ग लोगों की देखभाल करने से भी इनकार कर देते हैं। यहां तक कि अस्पतालों में बेड भी पूरे नहीं है। जो है वहां पर पहले से ही मरीज भर्ती हैं, नए मरीजों को किसी भी तरह से भर्ती नहीं किया जा रहा है।
बढ़ा संक्रमण, कम हो गई बेड़ों की संख्या
बेल्जियम में 18 मार्च को लॉकडाउन हुआ था। दर्जनों नर्सिंग-होम में निवासियों की मृत्यु पहले ही हो चुकी है। लॉकडाउन के बाद तो लोगों ने बचाव के लिए काफी कदम उठाए मगर जब वायरस का संक्रमण फैलने लगा तो लोग खुद ही घबरा गए और इनकी संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ने लगी। ऐसे में अस्पताल में बेड़ों की संख्या कम पड़ने लगी और मरीज अधिक हो गए। अब अस्पताल प्रबंधन के सामने ये संकट खड़ा हो गया कि वो किसका इलाज करें और किसको छोड़े।
तब कुछ डॉक्टरों ने सीनियर सिटीजनों को उनके हाल पर छोड़ने का फैसला किया और महिलाओं, बच्चों और अन्य की ओर ध्यान देना शुरू किया। कई बार जब लोग फोन करके अस्पताल में अपने घर से सीनियर सिटीजन का इलाज कराने के लिए ले जाने को कहते थे तो उनको मना किया जाने लगा।
ऐसी बातें सुनकर लोगों की आंखों से आंसू निकल आए। मैगी डी ब्लॉक, बेल्जियम के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने साक्षात्कार के लिए मना कर दिया और लिखित प्रश्नों का जवाब नहीं दिया। साक्षात्कार में अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपनी नीतियों का बचाव किया। उन्होंने कहा कि नर्सिंग-होम के कर्मचारियों ने अस्पताल में बीमार रोगियों की देखभाल की मांग की।