अब रामलला के प्राचीन मंदिर के पुरावशेषों को दर्शनार्थियों के लिए रखा जाएगा


अयोध्या । श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद रामनगरी में पग-पग पर हर्षोल्लास नजर आ रहा है। इसी बीच रामभक्तों को एक और सौगात मिलने जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहल पर अब दर्शनार्थियों को प्राचीन मंदिर के पुरावशेषों के दर्शन की राह भी प्रशस्त होगी। जन्मभूमि परिसर में समतलीकरण के दौरान मिले पुरावशेषों को रामलला के गर्भगृह के पाश्र्व में प्रदर्शित करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए परिसर में करीब 20 फुट लंबा सीढ़ी नुमा प्लेटफार्म बनाया गया है। इसमें तीन सीढ़ियां हैं। इसके ऊपर प्लेटफार्म है, जिस पर शेड लगाने के लिए ढांचा बनकर तैयार हो गया है।


सूत्र बताते हैं कि शेड का काम पूरा होने के बाद इसी स्थल पर खोदाई में मिले पुरावशेष रखे जाएंगे। रामलला का दर्शन करने के उपरांत बाहर निकलते वक्त श्रद्धालु इनका भी दर्शन व पूजन कर सकेंगे। इससे श्रद्धालुओं को मंदिर के अतीत की जानकारी मिलेगी। वो यह भी जान सकेंगे कि प्राचीन राममंदिर में कैसी ईंट और खंभे लगे थे। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पुरावशेषों को भी श्रद्धालुओं के लिए प्रदर्शित करने का विचार चल रहा है। रूपरेखा तैयार होने के बाद दर्शनार्थियों के लिए रखा जाएगा।


प्रारंभिक मध्य युग तक मिले पुरावशेष : एएसआइ की खोदाई में बड़ी संख्या में भग्नावशेष मिले थे, जो 1कुषाण, शुंग व गुप्त काल और प्रारंभिक मध्य युग तक के अवशेष हैं। इसके अलावा श्रीरामजन्मभूमि परिसर में गत दिनों हुए समतलीकरण के दौरान बड़ी मात्रा में प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले। मूर्तियां भी मिलीं। ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया था कि यहां पर पौराणिक काल की दर्जनों खंडित मूर्तियों के साथ ही करीब पांच फुट ऊंचा शिवलिंग मिलने से तय हो गया कि यहां पर कई मंदिर थे। यहां पर तमाम नक्काशीदार मूर्तियां के साथ विशाल चक्र भी मिले थे। पुरावशेषों में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प, कलश, आमलक आदि कलाकृतियां, मेहराब के पत्थर, सात ब्लैक टच स्टोन स्तंभ, आठ रेड सैंड स्टोन के स्तंभ और पांच फीट आकार का नक्काशीदार शिवलिंग शामिल है।