लखनऊ । यदि आप उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों से यात्रा करने वाले हैं तो पहले अपने स्थानीय बस स्टेशन से बस का समय जरूर पता कर लीजिए, क्योंकि यात्रियों की संख्या कम होने के साथ ही परिवहन निगम ने अपनी 2683 बसें सड़कों से हटा दी हैं। इन बसों को संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालयों में सरेंडर कर दिया गया है। इनमें निगम की 2194 व अनुबंधित 489 बसें शामिल हैं। इससे परिवहन निगम को बसों का अतिरिक्त टैक्स नहीं देना होगा। उसे करीब 2.80 करोड़ रुपये की बचत होगी।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का दावा है कि उन बसों को सरेंडर किया गया है जो अनलॉक-1 के दौरान यात्रियों की कम संख्या के कारण डिपो से निकली ही नहीं थीं। ऐसे में यात्रियों के आवागमन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। परिवहन निगम के बेड़े में 12147 बसें हैं। इनमें 9463 निगम की बसें तथा 2684 अनुबंधित बसें हैं। अनलॉक-1 में परिवहन निगम का सामान्य संचालन दिनांक एक जून से शुरू हुआ था। 30 जून तक करीब छह हजार बसों से 8,85,173 यात्रियों ने यात्रा की। जून माह में प्रतिदिन औसतन लगभग छह हजार बसों का संचालन हुआ। ऐसे में शेष बसें डिपो में ही खड़ी रहीं।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ.राज शेखर ने बताया कि प्रदेश में करीब छह हजार बसें ही संचालित हैं। ऐसे में न चलने वाली बसों पर लगने वाले अतिरिक्त टैक्स को बचाने के लिए 2683 बसों को प्रदेश के विभिन्न आरटीओ कार्यालयों में सरेंडर किया गया है। इन बसों के फिर से संचालन का निर्णय जुलाई में बसों के संचालन की समीक्षा के बाद लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 2683 बसों के सरेंडर के बाद भी निगम के बेड़े में 9464 बसें जुलाई माह के संचालन के लिए उपलब्ध रहेंगी। यदि माह जून के सापेक्ष जुलाई के संचालन में वृद्धि होती है तो भी लगभग 3464 बसें अतिरिक्त उपलब्ध रहेंगी।
कहां से कितनी बसें हुईं सरेंडर : गाजियाबाद रीजन से 122, मेरठ से 260, सहारनपुर से 162, बरेली से 211, हरदोई से 148, आगरा से 172, अलीगढ़ से 196, मुरादाबाद से 154, इटावा से 214, देवीपाटन से 72, कानपुर से 118, चित्रकूट से 59, लखनऊ से 113, गोरखपुर से 103, वाराणसी से 111, झांसी से 55, अयोध्या सेे 140, प्रयागराज से 83 और आजमगढ़ से 104 बसें सरेंडर की गईं।