ट्रेनों में अब चाय नहीं मिलेगा रेडीमेड काढ़ा, रोजाना होती है 500 कप से ज्यादा की मांग


कोरोना के खौफ में ट्रेनों में दूध वाली चाय की डिमांड काफी कम हो गई है। यात्री पैंट्रीकार वेंडरों से काढ़ा मांग रहे हैं। काढ़ा उपलब्ध नहीं होने पर अदरक-तुलसी की बिना दूध-शक्कर वाली चाय पी रहे हैं। मांग को देखते हुए पैंट्रीकार संचालक रेडीमेड काढ़ा सर्व करने लगे हैं। सप्तक्रांति में रोज पांच सौ कप से ज्यादा काढ़ा की मांग है जबकि दूधवाली चाय 100 कप भी नहीं बिक रही है। यही हाल वैशाली, गोरखधाम, कुशीनगर और एलटीटी एक्सप्रेस में भी है।


कोरोना का संक्रमण बढ़ने लगा है। इसको लेकर लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। लोगों का जोर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर है। आयुष मंत्रालय ने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काढ़ा पीने की सलाह जारी की है। लोग घरों में तो इसका इंतजाम कर रहे हैं। मजबूरी में ट्रेनों में सफर के दौरान भी लोग पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। यही वजह है कि ज्यादातर ट्रेनों में दूध की चाय की मांग न के बराबर रह गई है। यात्री काढ़ा, तुलसी, अदरक व काली मिर्च वाली चाय की डिमांड कर रहे हैं। 


वैशाली में 10 दिन से काढ़ा की डिमांड ज्यादा-
वैशाली एक्सप्रेस के पैंट्रीकार मैनेजर आरके तिवारी बताते हैं कि आठ-दस दिन से यात्री गर्म पानी और काढ़ा की डिमांड ज्यादा करने लगे हैं। ऐसे में अदरक, तुलसी की चाय में कालीमिर्च पाउडर डालकर सर्व किया जा रहा है। यात्रियों को यह मसाला चाय बेहद पसंद आ रही है। वैशाली में रोजाना 350 से 400 कप काढ़ा की डिमांड है जबकि दूध वाली चाय की डिमांड बमुश्किल 30 से 35 कप ही रह गई है।


सबसे अधिक 50 वर्ष के उम्र के यात्री मांग रहे काढ़ा-
दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली सम्पर्कक्रांति के मैनेजर बिट्टू यादव बताते हैं कि काढ़ा की सर्वाधिक डिमांड 50 वर्ष के ऊपर के यात्री कर रहे हैं। उम्रदराज यात्री दूधवाली चाय बिल्कुल नहीं ले रहे हैं। ये शाम को और सुबह काढ़ा मांग रहे हैं। ऐसे यात्रियों की पसंद के मुताबिक अदरक, तुलसी, दालचीली और लेमन मसाले वाली चाय सर्व की जा रही है।