स्पेन में हर्ड इम्युनिटी का प्रयोग विफल


अब तक तमाम देश मान रहे थे कि अगर ज्यादातर लोग संक्रमित हो जाए तो वहां लोगों के शरीर में हर्ड इन्म्युनिटी विकसित हो जाती है जो महामारी से रक्षा करती है। लेकिन स्पेन में यह प्रयोग विफल रहा। वहां सिर्फ पांच फीसदी लोगों में ही झुंड प्रतिरक्षा या हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई जबकि इस देश में 95% लोग वायरस के प्रति अतिसंवेदनशील पाए गए हैं।


माना जाता है कि जब 60 फीसदी से ज्यादा लोगों में संक्रमण फैल जाए तो वहां लोगों के शरीर में एक प्रतिरक्षा तंत्र खुद ब खुद तैयार हो जाता है। इसे ही हर्ड इम्युनिटी कहते हैं। लैंसेंट में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, स्पेन में 27 अप्रैल से 11 मई तक लॉकडाउन के दौरान यह शोध किया गया।  


इसमें 61,000 से अधिक प्रतिभागियों के नमूनों पर सीरोलॉजिकल अध्ययन हुआ ताकि मरीज के नमूने में एंटीबॉडी का पता लगाया जा सके। जितने ज्यादा लोगों के शरीर में एंटीबॉडी मौजूद होगी, उतने ज्यादा हर्ट इम्युनिटी हासिल होगी और कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकेगा। 


शोध के निष्कर्षों पर लैंसेट ने टिप्पणी लिखी है कि संक्रमण के ज्यादा प्रसार वाले क्षेत्रों में भी सभी लोग संक्रमण की पूरी तरह जद में नहीं आए। जिससे जरूरी हर्ड इम्युनिटी हासिल नहीं हुई। शोध की मुख्यटिप्पणीकार व जिनेवा विश्वविद्यालय की वेरोलॉजिस्ट इसाबेला इकरले कहती हैं कि इन निष्कर्षों के प्रकाश में हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए कोई भी प्रस्तावित दृष्टिकोण न केवल अत्यधिक अनैतिक है, बल्कि अस्वीकार्य भी है।  


अमेरिका व चीन में भी बड़ी आबादी कोविड से बची-  
स्पेन जैसा ही सीरोलॉजिकल अध्ययन अमेरिका और चीन में भी हुआ जहां पता लगा कि ज्यादा संक्रमण फैलने पर भी ज्यादातर आबादी कोविड से बची रही। यानी जरूरी हर्ड इम्युनिटी हासिल नहीं हो सकी। जिनेवा और स्विट्जरलैंड में एंटीबॉडी पर हुए अध्ययन में भी लगभग ऐसे निष्कर्ष ही सामने आए थे।