कोरोना रोगी की मौत में भी इम्यून सिस्टम की भूमिका अहम


लोगों पर कोरोना के अलग-अलग प्रभाव को लेकर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना से हो रही मौतों में भी अहम भूमिका शरीर के प्रतिरोधक तंत्र है। यदि व्यक्ति का प्रतिरोधक तंत्र दुरुस्त है तो मौत का खतरा कम है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि व्यक्ति की उम्र क्या है?


मैडीरेक्सीव जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार ब्रिटेन के एडिनबर्ग एवं अन्य विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने कोरोना से मरे लोगों के शवों का गहन परीक्षण के दौरान यह नतीजा निकाला। शोधकर्ताओं ने मौत के तुरंत बाद 11 शवों में 37 अंगों एवं संरचनाओं की जांच-पड़ताल की। इनमें फेफड़े भी शामिल हैं।


अब तक यह माना जाना था कि कारोना के संक्रमण के कारण कई अंगों के उत्तकों में सूजना आती है जिससे धीरे-धीरे अंग कार्य करना बंद कर देते हैं। इसके लिए कोरोना रोगियों को डेक्सामाइथासोन दवा दी गई जो सूजन कम करती है, लेकिन इन शवों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तकों में सूजना कोरोना रोगियों की मौत की वजह नहीं है। इससे सिर्फ कोरोना के संक्रमण की पुष्टि होती है।


शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण उत्तकों में कोरोना का आरएनए एवं प्रोटीन मिले हैं, लेकिन इसका प्रभाव उत्तकों में सूजन तक ही सीमित है। पृथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह मौत की वजह नहीं है। बल्कि मौत की वजह शरीर का प्रतिरोधक तंत्र है जिन लोगों में वह सही काम नहीं करता है, उनमें दिक्कतें बढ़ती हैं और मृत्यु का कारण बनता है।


शोधकर्ताओं ने कहा कि वायरस की मौजूदगी के चलते अंगों को कोई ऐसी क्षति नहीं पाई गई कि वह मौत का कारण बने। यह भी स्पष्ट नहीं होता है कि कोविड वायरस सीधे किसी अंग को क्षति पहुंचाता है। बता दें कि कोरोना संक्रमण को लेकर भी वैज्ञानिक इसी नतीजे पर पहुंचे हैं कि यदि प्रतिरोधक तंत्र अच्छा है तो इसके संक्रमण का खतरा नहीं है।