चापलूसों की बढ़ती जमात पर बनी फिल्म ‘यस बॉस’ ने इस तरह खत्म कर दिया इसके निर्देशक का करियर


हिंदी सिनेमा पिछली सदी के नौवें दशक के आखिर में खान सितारों के आगोश में आना शुरू हुआ तो अब भी जाकर इसके मोहपाश से बाहर नहीं निकल पाया है। ईद पर सलमान खान की फिल्म का इंतजार रहता है। क्रिसमस आमिर खान की फिल्मों के नाम रहती है और शाहरुख खान? वह तो कभी भी आते जाते रहते हैं। अभी पिछली फिल्म जीरो के सदमे से बाहर आना शाहरुख का बाकी है और कोविड 19 का संक्रमण भी कम होना बाकी है। पक्का तो कुछ तय नहीं लेकिन कहा यही जा रहा है कि इधर कोरोना की वैक्सीन बाजार में उतरी नहीं कि उधर शाहरुख खान की नई फिल्म का ऐलान हो जाएगा। शाहरुख खान कभी बॉक्स ऑफिस के बादशाह कहलाते थे, फिर उन्हें चस्का लग गया खान साब कहलाने का। और, इतिहास गवाह है कि जिस निर्देशक ने भी उनको खान साब कहना शुरू किया, वही उनके आभामंडल की रोशनी में अपना रास्ता भूल गया।


आज के बाइस्कोप की फिल्म शाहरुख खान की फिल्म है, लेकिन ऐसे निर्देशक की जो आज भी शाहरुख को शाहरुख ही कहता है। फिल्म का नाम यस बॉस और निर्देशक का नाम अजीज मिर्जा। दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला, अजीत और जीवन की फिल्म नया दौर की कथा-पटकथा और बी आऱ चोपड़ा की बलराज साहनी, राजकुमार, सुनील दत्त, शशि कपूर, साधना और शर्मिला टैगोर स्टारर फिल्म वक्त की कहानी लिखने वाले अख्तर मिर्जा के बेटे अजीज मिर्जा ने आखिरी फिल्म कोई 12 साल पहले शाहिद कपूर और विद्या बालन को लेकर बनाई थी, किस्मत कनेक्शन। एक समाचार एजेंसी ने तब खबर जारी की थी कि अजीज मिर्जा ने शाहरुख खान को अपनी अगली फिल्म के लिए ‘डंप’ कर दिया।


हेडिंग से यही लगता था कि जैसे अजीज मिर्जा ने शाहरुख खान के साथ फिल्म न बनाने का फैसला किया हो जबकि हकीकत ये थी कि शाहरुख और जूही चावला के साथ अपनी फिल्म फिर भी दिल है हिंदुस्तान के फ्लॉप होने के बाद उनकी शाहरुख और रानी मुखर्जी के साथ बनी फिल्म चलते चलते भी कोई खास चमत्कार नहीं कर पाई थी और शाहरुख अपने सबसे करीबियों को भी एक गलती से ज्यादा मौका नहीं देते हैं, ये बात सबको पता है। शाहरुख की गुडबुक्स से बाहर होने के बाद अजीज मिर्जा को पांच साल लगे थे अगली फिल्म बनाने में और उसके बाद फिर वह कोई दूसरी फिल्म आज तक नहीं बना पाए।


लेकिन यही अजीज मिर्जा कभी शाहरुख के बहुत अजीज हुआ करते थे। अजीज ने अपने भाई सईद मिर्जा और कुंदन शाह के साथ मिलकर कंपनी बनाई थी इस्करा और निर्देशन की शुरूआत की थी धारावाहिक सर्कस से, जिसके हीरो थे शाहरुख खान। ये बात है साल 1989 की। शाहरुख तब तक दिल्ली छोड़ बंबई आ चुके थे और फिल्मों में किस्मत आजमाने लगे थे। हेमा मालिनी की फिल्म दिल आशना है की शूटिंग शुरू हो चुकी थी और इसी बीच राज कंवर ने भी उन्हें अपनी फिल्म दीवाना के लिए साइन कर लिया।


अगर आप खेलकूद के शौकीन हैं तो आपने रिले रेस जरूर देखी होगी, जिसमें एक खिलाड़ी अपने हिस्से की दौड़ पूरी करने के बाद बैटन अगले खिलाड़ी को थमा देता है। रूमानियत के राजकुमार कहे जाने वाले ऋषि कपूर ने फिल्म दीवाना में परदे पर मुस्कुराते हुए रोमांस करने की अपनी स्टाइल का बैटन शाहरुख खान को थमा दिया। शाहरुख खान ने रोमांटिक फिल्मों की एक नई कैटेगरी बनाई। राजेश खन्ना जहां सौम्य और शालीन प्रेमी हुआ करते थे, ऋषि कपूर ने इसमें तमाम जोश और गर्मी भरी, शाहरुख खान ने परदे के रोमांस को जिंदगी की खुशहाली से जोड़ा। ये वक्त था भारतीय अर्थव्यवस्था के विश्वबाजार के लिए खुलने का। वैश्वीकरण में खुशहाली का पैमाना दाल रोटी का जुगाड़ करने की बजाय शाम को डिनर टेबल पर एक ग्लास वाइन होने से नापा जाने लगा था।


मध्यमवर्ग की खुशहाली के बदलते पैमानों और अपनी आत्मा को अपने सपनों को पाने के लिए धीरे धीरे खुद ही कुचलते रहने वाले आम आदमी की पहली परछाई अजीज मिर्जा ने फिल्म यस बॉस में दिखाई। यस बॉस एक फिल्म की बजाय एक संस्कृति का दर्पण है। ये देश में चापलूसों की बढ़ती जमात की असलियत दिखाने वाली पहली फिल्म मानी जा सकती है। फिल्म में भले एक ऐसा माहौल गढ़ा गया जिसमें आम दर्शक शुरू से आखिर तक डूबता इतराता रहा लेकिन फिल्म की रिलीज के 23 साल बाद इसे फिर से देखें तो ये फिल्म अपने समय का दर्पण नजर आती है।


एक युवा जो कामयाबी पाने के लिए अपने मालिक की हर सही गलत बात पर यस बॉस बोल रहा है, एक युवती जो जीवन में कुछ बन पाने के लिए घर से निकली है। उसे मॉडल बनना है तो उसके साथ कोई भी फ्लर्ट करने का हौसला बना लेता है। एक बीवी है जिसे अपने पति की सारी हरकतें पता है लेकिन वह कोई स्टैंड नहीं ले पाती और फिर वही युवा है जो दफ्तर में अपनी नौकरी सेट रखने के लिए अपने बॉस की बीवी को भरमाता रहता है और अपने मालिक की अय्याशियों पर पर्दा डाले रहता है। जाहिर है कि आज के समय के हिसाब से ये फिल्म बिल्कुल नहीं है, और 23 साल पहले भी जब ये फिल्म रिलीज हुई तो उसी साल रिलीज हुई शाहरुख की परदेस और दिल तो पागल है जैसी फिल्मों की कामयाबी के आगे लाइम लाइट मे ज्यादा आ भी नहीं पाई।


यस बॉस एक तरह से देखा जाए तो शाहरुख खान और अजीज मिर्जा दोनों के लिए एक चेतावनी थी, जिसे न शाहरुख खान देख पाए और न जिसे अजीज मिर्जा समझ पाए। नतीजा दोनों का ये नकली स्वप्नलोक अगली ही फिल्म फिर भी दिल हैं हिंदुस्तानी में रिलीज के पहले दिन ही धड़ाम हो गया। फिल्म यस बॉस की जयंती पर दो साल पहले शाहरुख ने कहा था, “मुझे नहीं पता कि कब मेरा जुनून मेरे जीवन का उद्देश्य बन गया और फिर कब ये मेरा पेशा भी बन गया। मैं उन सब लोगों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे अपना मनोरंजन करने का मौका दिया। मुझे लगता है कि मेरा ये जुनून मुझे आगे भी अपने चाहने वालो की सेवा करते रहने का मौका देता रहेगा।” ये बात फिल्म जीरो के रिलीज होने के पहले की है। अब कोई 19 महीने पूरे होने को आ रहे हैं और शाहरुख अपने चाहने वालों से किया अपना ये वादा पूरा करने के लिए अपनी नई फिल्म का ऐलान तक नहीं कर पाए हैं।


शाहरुख फिल्म जीरो के फ्लॉप होने के बाद से यस बॉस की ही भूमिका में हैं। बार्ड ऑफ ब्लड और बेताल जैसी सीरीज देखने के बाद यही लगता है कि उनके आसपास भी तमाम राहुल जमा हो गए हैं, जो अपने बॉस की हर बात पर बस यस बॉस ही बोलते हैं। लेकिन जहां तक 18 जुलाई 1997 को रिलीज हुई फिल्म यस बॉस की बात है तो इस फिल्म में शाहरुख और जूही ने तब के दर्शकों की मानसिकता के हिसाब से कमाल का काम किया था। कयामत से कयामत तक में आमिर खान के साथ हिट हुईं जूही चावला ने उससे ज्यादा बड़ी हिट फिल्में शाहरुख खान के साथ दीं। दोनों एक साथ 11 फिल्मों में दिख चुके हैं। यस बॉस से पांच साल पहले राजू बन गया जेंटलमैन और उसके तुरंत बाद फिल्म डर में दोनों की केमिस्ट्री ने कमाल किया था। हालांकि महेश भट्ट इस केमिस्ट्री का फायदा फिल्म डुप्लीकेट में कतई नहीं उठा पाए। बाद में फिल्म भूतनाथ में दोनों फिर एक बार लोगों को एक साथ खूब पसंद आए।


यस बॉस अगर आप फिर से देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि आखिर शाहरुख और जूही के एक साथ चमकने का राज क्या है। शाहरुख और जूही दरअसल किसी केमिकल रीएक्शन की तरह काम करते हैं। एक मुस्कुराता है तो दूसरा लजाता है। एक शातिर प्राणी बनकर फ्रेम में आता है तो दूसरा भोलेपन की जीती जागती मूरत बन जाता है। फिर दोनों का संगम उनकी मुस्कुराहटें कराती हैं तो यूं लगता है कि दोनों किसी दंत मंजन का विज्ञापन करने निकले हैं। शाहरुख खान ने प्रेम को परदे पर पेश करने के राजेश खन्ना और ऋषि कपूर के अंदाज का अगला वर्जन निकाला। वह परदे पर प्रेम का दमकता चेहरा बने। अपनी फिल्मों में कभी राज तो कभी राहुल बनकर शाहरुख ने प्रेम करने का एक फलसफा ये भी बनाया कि अपने दुश्मन से भी प्रेम करना सीखो। वह प्रेम के विरोधियों से सीधे भिड़ने में कम ही यकीन रखते हैं। शाहरुख ने अपने किरदारों को मस्तमौला किस्म का इंसान बनाया जो बुद्धिमान भी है और खुशमिजाज भी। यही उसके करिश्मे का असली राज है।


फिल्म का नाम यस बॉस है और इस लिहाज से फिल्म का टाइटल रोल किया आदित्य पंचोली ने। वही फिल्म में बॉस बने हैं और फिल्म के ओपनिंग क्रेडिट्स में भी शाहरुख से पहले उन्हीं का नाम आता है। पंचोली और शाहरुख की ये पहली फिल्म थी और दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत ही कमाल का तालमेल इस फिल्म में दिखाया। आदित्य पंचोली की उनके करियर की ये सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक बनी। फिल्म की एक और हाइलाइट हैं अभिनेता गुलशन ग्रोवर। कम लोगों को ही पता होगा कि इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान गुलशन को हॉलीवुड से पहला बड़ा ऑफर डिजनी की एक फिल्म का मिला था और शाहरुख खान के कहने पर ही वह पहली बार लॉस एंजिलिस गए थे। करीब महीना भर शूटिंग से गायब रहने के बाद गुलशन को वापस फिल्म यस बॉस की शूटिंग में शामिल भी शाहरुख खान की वजह से ही किया गया। गुलशन ग्रोवर आज भी इस बात का एहसान मानते हैं।


अजीज मिर्जा की खुद की लिखी कहानी पर बनी फिल्म यस बॉस की पटकथा और संवाद ने भी फिल्म को बहुत चुस्त दुरुस्त फिल्म बनाया। मंगेश कुलकर्णी की पटकथा पर संजय छैल ने इसके संवाद लिखे थे। 1993 में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म फॉर लव ऑर मनी से प्रेरित फिल्म यस बॉस जब बनना शुरू हुई तो इसका नाम अजीज मिर्जा और इसके निर्माता रतन जैन ने मोहब्बत इसको कहते हैं रखा था। बाद में फिल्म की रिलीज से ठीक पहले इसका नाम यस बॉस कर दिया गया।


फिल्म की कामयाबी में इसके म्यूजिक का खास योगदान रहा। शाहरुख खान के लिए इस फिल्म में अभिजीत भट्टाचार्य ने बेहतरीन गाने गाए। अभिजीत उन दिनों शाहरुख खान की आवाज वैसे ही माने जाते थे, जैसे राजेश खन्ना की आवाज बने थे किशोर कुमार और ऋषि कपूर पर सबसे ज्यादा जमी थी शैलेंद्र सिंह की आवाज। जतिन ललित के संगीत में पगे फिल्म के गीत रचे थे जावेद अख्तर ने। इस फिल्म का एक गाना खासतौर से उल्लेखनीय है, चांद तारे तोड़ लाऊं, सारी दुनिया पर मैं छाऊं, बस इतना सा ख्वाब है.. आप पहले ये गाना देखिए, फिर मैं बताता हूं इस गाने की खास बात।


इस गाने की शूटिंग मुंबई के पास ही बन रही नवी मुंबई के अलावा बांद्रा की कुछ एक लोकेशन्स पर भी हुई बताई जाती है। गाने में जहां शाहरुख एक नवविवाहित जोड़े की गाड़ी के बोनट पर चढ़े दिखते हैं, वहां पीछे दिख रही इमारत वही बंगला है जिसे आज लोग मन्नत के नाम से जानते हैं। फिल्म यस बॉस के प्रोड्यूसर भले रतन जैन थे लेकिन इसमें पैसा लगा था हीरा व्यापारी भरत शाह का। भरत शाह ने बाद में शाहरुख खान को यही इमारत खरीदने में मदद की, तब इस बंगले को विला वियेना के नाम से जाना जाता था। फिल्म के तकरीबन सारे गाने हिट रहे।