बीटीपी ने विश्वासमत के दौरान विधायकों को सदन से गैर-हाजिर रहने को कहा


नई दिल्ली। राजस्थान में उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बगावती तेवर के बाद सियासी संकट जारी है। इस बीच, राजस्थान सरकार में सहयोगी भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) ने अशोक गहलोत सरकार को झटका दिया है। बीटीपी ने अपने दो विधायकों को पत्र जारी करते हुए कहा कि सदन में विश्वासमत के दौरान वे गैर-हाजिर रहें। इन दोनों विधायकों ने इससे पहले राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था।


इससे पहले, अशोक गहलोत ने सोमवार को अपने निवास पर विधायक दल की बैठक कर 107 विधायकों के शामिल होने की बात कही। जिसके बाद माना जा रहा है कि गहलोत सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है। इस बीच, बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा कि अगर अशोक गहलोत के पास बहुमत है तो उन्हें तुरंत फ्लोर टेस्ट कराकर अपना बहुमत साबित करना चाहिए। वे अपने विधायकों को रिजॉर्ट में ले जा रहे हैं, जिससे साफ होता है कि उनके पास संख्या नहीं है।


सोमवार को राहुल गांधी के दफ्तर ने दावा किया कि सचिन पायलट हमेशा से ही राहुल गांधी के दिल में हैं। उन्होंने बताया, 'सचिन और राहुल दोनों एक दूसरे से सीधे बात करते हैं और यह बातचीत अक्सर होती है। उनमें एक दूसरे के लिए बहुत सम्मान और स्नेह है।'


राजस्थान के गहराते संकट के बावजूद भी अब तक राहुल गांधी ने ट्विटर पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है। राहुल सोमवार को दो बार ट्विटर पर ट्वीट कर चुके हैं। उन्होंने पहला ट्वीट कोरोना वायरस को लेकर किया था, जबकि दूसरे ट्वीट में उन्होंने लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था।


सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, दोनों ही पूरे मामले से अवगत हैं और सचिन पायलट से संपर्क में हैं। सूत्रों ने दावा किया है कि राहुल और प्रियंका लगातार सचिन पायलट को मनाने में जुटे हुए हैं। सिर्फ, राहुल और प्रियंका ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी पायलट से बात की है और उन्हें मनाने की कोशिश की है।


माना जा रहा है कि राजस्थान पुलिस के स्पेशन ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) के पूछताछ को लेकर भेजे गए नोटिस के बाद से ही सचिन पायलट खफा हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया है कि यह नोटिस सिर्फ सचिन को ही नहीं, बल्कि उन्हें भी मिला है।