नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ओडिशा में अधिकारियों को पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा आयोजित करने की अनुमति दी। इसके बाद से ओडिशा के पूरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो गई है। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने रथयात्रा पर रोक का आदेश दिया था, जिसके बाद मंदिर परिसर के अंदर ही रथयात्रा निकालने का फैसला किया गयाहै। इस बार रथयात्रा मंदिर परिसर में ही सात फेरे लगाएगी।
कोर्ट ने 18 जून के अपने उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें कोरोना वायरस महामारी के बीच इस वर्ष के उत्सवों को प्रतिबंधित किया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने नौ दिवसीय उत्सव के दौरान पुरी में कर्फ्यू लगाने सहित कई शर्तें लगाईं, और जगन्नाथ मंदिर प्रशासन समिति और ओडिशा सरकार को उनका कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा कि अगर यह सुनिश्चित करना संभव है कि भीड़ नहीं होगी, तो हमें कोई कारण नहीं दिखता है कि रथ यात्रा को मंदिर से मंदिर तक के सामान्य मार्ग पर सुरक्षित रूप से नहीं चलाया जा सके। इस मामले पर गंभीरता से विचार करने और पक्षों को सुनने के बाद, हमारा विचार है कि पुरी में रथ यात्रा आयोजित की जा सकती है।
इससे पहले 18 जून को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था, ''यदि हमने इस साल हमने रथ यात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। महामारी के दौरान इतना बड़ा समागम नहीं हो सकता है।'' बेंच ने ओडिशा सरकार से यह भी कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए राज्य में कहीं भी यात्रा, तीर्थ या इससे जुड़े गतिविधियों की इजाजत ना दें। इधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर अनिश्चितता के बीच सोमवार को जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव से बात की। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती ने बताया कि शाह ने वर्ष 1736 से अनवरत चल रही रथ यात्रा के साथ जुड़ी परंपरा पर चर्चा की।