कई बार जीवन में ऐसे मोड़ आ जाते हैं जब व्यक्ति का अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं रहता और वो जाने-अनजाने कुछ ऐसा कर बैठता है जिसकी वजह से भविष्य में उसे भारी नुकसान उठाना पड़ता है। तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि व्यक्ति को अपने क्रोध को मन के भीतर ही दबाए रखना चाहिए, बिल्कुल नहीं। आप कल्पना करके देखिए यदि किसी चिमनी के भीतर कोयला जलाकर रख दें लेकिन चिमनी से भाप बाहर निकलने का रास्ता न हो तो क्या होगा। स्वाभाविक है चिमनी फट जाएगी।
ठीक वैसे ही भावनात्मक रूप से चोटिल व्यक्ति यदि अपने मन से नकारात्मक भावनाओं को बाहर निकालने की जगह अपने मन के भीतर इकट्ठा करता रहेगा तो भविष्य में यह आदत उसके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे इन 5 उपायों को करके व्यक्ति मानसिक शांति बनाए रखने के साथ अपने गुस्से को भी बाहर निकाल सकता है।
व्यायाम करें -
मन से सभी नकारात्मक विचारों को निकालने के लिए वर्कआउट करें। वर्कआउट के दौरान एंडोर्फिन हॉर्मोन , जिसे हम हैप्पी हॉर्मोन भी कहते हैं शरीर से रिलीज होते हैं। जिससे व्यक्ति की मानसिक सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।
गहरी सांस लें-
जब कभी आपको लगे कि आप अत्याधिक गुस्से में हैं तो भड़ास निकालने का बेहतर तरीका है कि एक कदम पीछे आएं और गहरी सांस लें।किसी भी परिस्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया न दें।
दोस्तों से करें खुलकर बात-
दोस्तों से बात करने से भावनाओं को बाहर आने का मौका मिलता है। लेकिन ध्यान रखें सिर्फ भरोसेमंद दोस्त के साथ ही अपनी भावनाओं को साझा करें, जो आपका सही मार्गदर्शन भी करें।
भावनाओं को कागज पर उतारें-
यदि आपके पास कोई भरोसेमंद दोस्त नहीं है तो खुद को अकेला न समझें, अपनी डायरी में पूरी ईमानदारी से अपनी भावनाओं को दर्ज करें। जब आप शांत हो जाएं, इस डायरी को दोबारा पढ़ें। आपको महसूस होगा कि आपके गुस्से ने कैसे आपकी तर्क शक्ति को ढक लिया था। जिसके बाद आप अपनी कमजोरियों पर काम कर सकेंगे।
दृष्टिकोण में करें बदलाव-
अमेरिका के ड्रेक्सल विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि आप चाहें तनाव की किसी भी स्थिति में हों आर्ट आपके तनाव को कम कर आपको बेहतर महसूस करवाने में मदद करती है। तो देर किस बात की, एक खाली कैनवास लें और उस पर अपने गुस्से और हताशा को व्यक्त करने वाले अपनी मर्जी के रंग उड़ेल दें।