क्या आप जानते हैं कि खाना सिर्फ पेट भरने के लिए ही नहीं होता बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं ढेर सारी खुशियां। तभी तो हर खुशी के मौके पर हम अपनों को कुछ अच्छा खिलाना चाहते हैं।
कभी आपने गौर किया है कि गोलगप्पे या चाट का नाम लेते ही मुंह में पानी क्यों आ जाता है? अचार या नींबू का नाम आते ही मन अच्छा हो जाता है? मूंगफली जैसी चीज़ें खत्म होने के बाद भी थोड़ा और खाने की इच्छा क्यों होती है? हमारी फूड हैबिट से जुड़े इन सभी सवालों के जवाब भी खाने की इन चीज़ों में ही छिपे हैं। दरअसल खाने-पीने की चीज़ों में कई ऐसे माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व पाए जाते हैं, जो तनाव और बेचैनी को कम करने में मददगार होते हैं। इसी वजह से कुछ चीज़ें खाने के बाद हमें खुशी का एहसास होता ही है, उन्हेंं बार-बार खाने की इच्छा भी होती है।
जानें क्यों होता है ऐसा
अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो मीठी और नमकीन चीज़ों को खाते ही हमें तुरंत खुशी और संतुष्टि का एहसास होता है क्योंकि ये चीज़ें ब्रेन के उस हिस्से को उत्तेजित करती हैं, जहां से हैप्पी हॉर्मोन्स का सिक्रीशन होता है। हालांकि, खुशी का एहसास दिलाने वाले हॉर्मोन्स-एंडोफस, सेरोटोनिन, डोपामाइन और ऑक्सीटोन का असर बहुत थोड़े समय के लिए होता है। इसी वजह से मिठाई, चॉकलेट, पिज़्ज़ा-बर्गर या चाट-पकौड़ी जैसी चीज़ें देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। इन्हेंं खाकर लोगों को बहुत अच्छा महसूस होता है, पर यह खुशी मात्र कुछ सेकंड के लिए होती है। इसीलिए ऐसी चीज़ों से इंसान का जी नहीं भरता और इन्हेंं बार-बार खाने की इच्छा होती है। दूसरी ओर जिन चीज़ों में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है, प्राय: उनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। ऐसी चीज़ें हमारे शरीर में धीरे-धीरे एनर्जी को रिलीज़ करती हैं। इसलिए ऐसी चीज़ें खाने के बाद हमारा मन बहुत देर तक शांत रहता है। ऐसी चीज़ें हमारे ब्रेन के सटाइटी सेंटर को सक्रिय कर देती हैं। ब्रेन के इस हिस्से से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स का सिक्रीशन होता है, जो हमें संतुष्टि का एहसास दिलाते हैं। इसके अलावा जिन चीज़ों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, उन्हेंं चबाने में थोड़ा वक्त लगता है, इससे खाने के दौरान हमारे न्यूरोट्रांस्मिटर्स को ब्रेन तक यह संदेश भेजने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है कि शरीर को भोजन मिल चुका है। यही वजह है कि दलिया, स्प्राउट्स, भुने चने, ओट्स या खीरा जैसी चीज़ें अगर कम मात्रा में भी खाई जाएं तो व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि उसका पेट भर गया है।