चिकनगुनिया से आज भारत ही नहीं अपितु दुनिया के बहुत सारे देश परेशान हैं। यह बीमारी जानलेवा तो नहीं है लेकिन आम जन-जीवन को बेहद अस्त-व्यस्त कर देती है, इसलिए चिकनगुनिया के संक्रमण का इलाज बहुत ही आवश्यक है।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि सबसे ज़रूरी इलाज तो चिकनगुनिया का यही है कि हम इससे रोकथाम ही करें। चिकनगुनिया मच्छरों के काटने से फैलता है इसलिए हमें इसके रोकथाम के लिए मच्छरों से खुद को बचाना होगा। मच्छर ज्यादातर अपनी प्रजनन प्रक्रिया पानी में करते हैं, इसीलिए हमें अपने आस-पास पानी को एकत्र नहीं होने देना चाहिए। अपने आस-पास जैसे गमलों में, बर्तनों में, कूलर आदि में पानी एकत्र होने से रोकें। खुद को मच्छर से बचाने के लिए हमें पूरे कपड़े पहनने चाहिए जिससे हमारा शरीर पूरी तरह ढका हुआ रह सके और मच्छरों के संपर्क में हमारी त्वचा नहीं आए। रात को मच्छरदानी और अगरबत्ती और मच्छर को भगाने वाली लिक्विड का प्रयोग करना चाहिए।
इसके अलावा हमें हमारे खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें हमारे भोजन में वह तत्व शामिल करने चाहिए जो हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। विटामिन-सी से भरपूर फल, ग्रीन-टी, गिलोय, हल्दी, तुलसी का सेवन नियमित रूप से करिए। इसके अलावा दिन में कम से कम 4 से 5 लीटर पानी अवश्य पिएं। तरल पदार्थ जैसे अनार के जूस, टमाटर का सूप, ग्लूकोज़ और ओआरएस का सेवन करना भी आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
इसके अलावा अगर चिकित्सी नज़रों से देखे तो डॉक्टर तेज़ बुखार आने पर पेरासिटामोल का सेवन करने की सलाह देते हैं, जिससे बुखार में कुछ हद तक राहत मिलें। साथ ही साथ डिस्परीन और एस्परीन लेने को एक दम मना करते हैं, क्योंकि इसके साइड इफैक्ट भी हो सकते हैं। इसके अलावा ज़्यादा कमज़ोरी आने पर ग्लूकोज़ की ड्रिप भी चढ़ाई जाती है। रोगी को भरपूर आराम की सलाह दी जाती है। यह रोग काफी लंबा चलता हैं, इसलिए रोगी का विशेष ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
चिकनगुनिया जानलेवा नहीं है लेकिन यह हमारे लीवर को काफी नुकसान पहुचा सकती है और इसकी अभी तक कोई भी दवाई ही नहीं आई है, तो हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता जितनी अच्छी होगी उतना ही ज़्यादा हम इस बीमारी से बच सकेंगे। चिकनगुनिया की जांच भी संभव है, लेकिन अधिकतर चिकित्सकों का कहना है कि इसकी जांच बहुत ज्यादा दिक्कत हो तभी कराना चाहिए या फिर डेंगू और चिकनगुनिया में अगर असमंजस की स्थिति हो तनजांच करवाना महत्वपूर्ण है।
चिकनगुनिया की जांच में हमारे रक्त कि जांच होती है। रक्त में मौजूद कुछ तत्व ही पुष्टि करते हैं कि हमें चिकनगुनिया है या नहीं। इसकी जांच करवाने के बाद चिकित्सक बिना किसी लापरवाही के साथ रोगी का इलाज कर सकता है।