मांगलिक शब्द का अर्थ कुछ अलग है लेकिन अपने निजी स्वार्थ हेतु कुछ ज्योतिष मित्र इसे राइ का पहाड़ बन देते हैं। भोलेभाले लोग इसपर तुरंत भरोसा करके बड़े भयभीत होते हैं। हालांकि मांगलिक दोष वाले जातकों को मुसीबतों का सामना जरूर करना पड़ता है। इनके जीवन में लड़ाई झगड़े आम बात होती हैं।
इतना ही नहीं ऐसे जातकों की जब शादी की बात आती है, तो मानों इन्होंने जन्म लेकर कोई बड़ा पाप कर दिया हो। ऐसे में कई बार मांगलिक जातकों को अपमान भी महसूस होता है। हम यह बात नहीं भूल सकते की बड़े-बड़े वीर भी मांगलिक थे।
उदहारण के तौर पर भगवान श्रीराम भी मांगलिक थे। उनकी पत्रिका में सातवें भाव में मंगल था और वो भी मांगलिक थे। मांगलिक लोगों को नुकसान भी उठाना पड़ता है। जैसे प्रभु श्री राम को मैया सीता से दूर होना पड़ा था।
किसे मांगलिक कहा जाता है?
किसी भी कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, द्वादश भाव में मंगल होने पर उस जातक को मांगलिक कुंडली या कुंज दोष भी कहा जाता है।
कोई जातक चाहे वह स्त्री हो या पुरुष उसके मांगलिक होने का अर्थ है कि उसकी कुण्डली में मंगल अपनी प्रभावी स्थिति में है।
शादी के लिए मंगल को जिन स्थानों पर देखा जाता है सामान्य तौर का अर्थ है कि विशेष परिस्थितियों में इन स्थानों पर बैठा मंगल भी अच्छे परिणाम दे सकता है। तो लग्न का मंगल व्यक्ति की पर्सनेलिटी को बहुत अधिक तीक्ष्ण बना देता है, चौथे का मंगल जातक को कड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि देता है। सातवें स्थान का मंगल जातक को साथी या सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है।
आठवें और बारहवें स्थान का मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। इन स्थानों पर बैठा मंगल यदि अच्छे प्रभाव में है तो जातक के व्यवहार में मंगल के अच्छे गुण आएंगे और खराब प्रभाव होने पर खराब गुण आएंगे।
ऐसे होते हैं मांगलिक जातक
-कठोर अनुशासन बनाने और उसका अनुसरण करता है।
-कठोर निर्णय लेने और कठोर वचन बोलने वाला होता है।
-लड़ाई-झगड़ों से नहीं घबराता।
-प्लान बनाकर लगातार काम करता है।
-विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होता है।
-काम को अंजाम तक पहुंचाने का जुनून होता है।
-नए अनजाने कामों को शीघ्रता से हाथ में ले लेते हैं।