शास्त्रो में रत्नों का बड़ा ही महत्व बताया गया है, कहा जाता है की यदि व्यक्ति इन रत्नों को धारण करता है तो उसके अनेक कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इसमें भी पुखराज को बड़ा महत्वपूर्ण रत्न बताया गया है लेकिन दोषयुक्त पुखराज लाभ देने के बजाय भयंकर नाश का कारण बनता है। अत: निम्न प्रकार के पुखराज कभी धारण नहीं करने चाहिए।
-जिस पुखराज में खड़ी लकीरें हों, वह मित्र व संबंधियों से वैर बढ़ाता है।
-जिसका रंग सफेद दूधिया हो, यह ऐसी स्थिति पैदा करता है कि जिससे धारक को चोट लगे
-जिसमें चमक न हो, ऐसा पुखराज शरीर व स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।
-जिसमें सफेद-सफेद बिंदु हों, ऐसा पुखराज अशुभ माना गया है, क्योंकि यह मृत्यु का कारक होता है।
-जो दुरंगा अर्थात दो रंगों वाला हो, यह रोग वृद्धि करता है और नई बीमारियों को भी जन्म देता है।
-जिसमें गड्ढा हो, यह आर्थिक तौर पर हानि पहुंचाता है।
-जिसमें जाल हो, यह संतान संबंधी तमाम बाधाएं उत्पन्न करता है।
-जिसमें लाल छींटे हों, यह धन-वैभव नाशक होता है।
शुद्धता की जांच
-यदि पुखराज को दूध में 24 घंटे तक रखने के बाद भी इसकी चमक क्षीण न पड़े तो उसे शुद्ध समझा चाहिए।
-सफेद कपड़े में पुखराज को रखकर धूप में देखने पर कपड़े से पीली झांई सी किरणें दिखाई देती हैं।
-यदि कोई जहरीला जानवर काट ले तो वहां पुखराज घिसकर लगाने से जहर तुरंत खत्म हो जाता है।