सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) की साजिश के सबूत मिलने लगे हैं।
नई दिल्ली। सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) की साजिश के सबूत मिलने लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान पीएफआइ और उसके सहयोगी संगठनों के बैंक खातों में लेन-देन का विस्तृत ब्यौरा गृह मंत्रालय को सौंपा है। इससे साफ पता चलता है कि इस दौरान पीएफआइ के खाते में बड़ी मात्रा में रकम जमा किये गए और निकाले गए, जो पहले के पैटर्न से बिल्कुल अलग है।
ईडी ने दो भागों में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार ईडी ने दो भागों में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है। एक भाग केवल चार दिसंबर, जिस दिन नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश से हुआ था, से लेकर छह जनवरी के बीच पीएफआइ व उसके सहयोगी संगठनों के खातों में हुए लेन-देन को लेकर है। वहीं दूसरे भाग में पिछले कई सालों में दौरान पीएफआइ व उसके सहयोगी संगठनों व व्यक्तियों के खातों में हुए लेन-देन का ब्यौरा है।
पीएफआइ खाते से कपिल सिब्बल को कुल 77 लाख, इंदिरा जयसिंह को चार लाख दिए
पुरानी लेन-देन के सिलसिले में पीएफआइ के खाते से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को कुल 77 लाख रुपये, इंदिरा जयसिंह को चार लाख रुपये और दुष्यंत दबे को 11 लाख रुपये दिये जाने के साथ-साथ एनआइए द्वारा आरोपित अब्दुल समद को 3.10 लाख रुपये और न्यू जोथी ग्रुप को एक करोड़ 17 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है। इसमें पीएफआइ कश्मीर को भी एक करोड़ 65 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है।
पीएफआइ और सिब्बल ने कहा- ये पैसे हदिया केस के सिलसिले में फीस के रूप में दिये गए थे
वैसे पीएफआइ और कपिल सिब्बल दोनों ने साफ कर दिया है कि ये पैसे हदिया केस के सिलसिले में फीस के रूप में दिये गए थे और इसका सीएए के खिलाफ ताजा विरोध प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं इंदिरा जयसिंह ने पीएफआइ से किसी तरह से धन लेने से साफ इनकार दिया है। पीएफआइ ने ईडी की अनाधिकारिक रूप लीक की गई रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि पीएफआइ कश्मीर नाम की उसकी कोई इकाई है ही नहीं।
ईडी ने की 15 बैंक खातों में हुए लेन-देन की जांच
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार ईडी ने चार दिसंबर से छह जनवरी के बीच कुल 15 खातों में हुए लेन-देन की जांच की। इनमें 10 बैंक खाते पीएफआइ के और पांच खाते उसके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन के थे। इस दौरान इन 15 बैंक खातों में कुल 1.04 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे। जमाकर्ता की पहचान छुपाने के लिए जमा की राशि को 50 हजार रुपये से कम रखा गया। ये जमा या तो नकद किये गए या फिर मोबाइल के माध्यम से आइएमपीएस किया गया।
जिस तरह से पैसे जमा कराये गए थे उसी तरह से निकासी भी हुई
जमा राशि पांच हजार रुपये 49 हजार रुपये के बीच है। सभी 15 बैंक खाते में जिस तरह से पैसे जमा कराये गए थे उसी तरह से नकद या मोबाइल से एनईएफटी और आइएमपीएस के माध्यम से पैसे निकाले भी गए। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान कुल एक करोड़ 34 लाख रुपये निकाले गए। मजेदार बात यह है कि अधिकांश निकासी दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये तक की गई।
12 दिसंबर को एक बैंक एकाउंट से एक दिन में 90 बार निकासी की गई थी
एक बैंक एकाउंट से एक दिन में कई-कई बार पैसे निकाले गए। उदाहरण के तौर पर 12 दिसंबर को एक खाते से कुल 90 बार निकासी की गई थी। यहीं, निकासी के पैटर्न से साफ है कि हिंसक विरोध प्रदर्शन के दिन या उससे एक दिन पहले बड़ी मात्रा में निकासी की गई है। ईडी के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं है कि छह जनवरी तक सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के लिए पीएफआइ ने धन की व्यवस्था की थी। छह जनवरी के बाद की जांच अभी जारी है।
ईडी ने पीएफआइ के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की थी
सूत्रों के अनुसार एनआइए के केस के बाद ईडी ने पीएफआइ के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की थी। उसके व उसके सहयोगी संगठनों से 73 बैंक खातों की बारीकी से पड़ताल की गई। इनमें 27 पीएफआइ के, नौ रिहैब इंडिया फाउंडेशन के और 17 अलग-अलग बैंकों में उससे संबंधित व्यक्तियों व इकाइयों के 37 खाते शामिल हैं।
खातों में कुल 120 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे
इन खातों में कुल 120 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे और एक-दो दिन के भीतर ही उससे अधिकांश रकम को निकाल भी लिया गया। इनमें जमा का तरीका भी वही नकद, आरटीजीएस और एनईएफटी है। चेक के माध्यम से लेन-देन एक-आध बार ही हुआ है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों से नेहरू प्लेस स्थित खाते में भारी मात्रा में नकदी जमा की गई थी
खातों के विश्लेषण से साफ हुआ कि नई दिल्ली के नेहरू प्लेस स्थित खाते में पश्चिम उत्तर प्रदेश के बहराइच, बिजनौर, हापुड़, शामली, डासना जैसी जगहों से भारी मात्रा में बार-बार नकदी जमा किये गए हैं। ईडी इसकी पड़ताल में जुटा है। वहीं जोशी ग्रुप तमिलनाडु में पंजीकृत एक साझेदारी फर्म है, जो प्लास्टिक बैग के क्षेत्र में काम करती है। पीएफआइ के साथ उसके लेन-देन के कारणों की पड़ताल की जा रही है।
जांच की रही है कि आखिर ये पैसे किस बात के लिए दिये गए थे
इसी तरह रिहैब इंडिया फाउंडेशन के खाते में दुबई की पीएमए इंटरनेशनल से आए 20 लाख रुपये की जांच की रही है कि आखिर ये पैसे किस बात के लिए दिये गए थे। खुफिया रिपोर्टो में बताया गया है कि पीएफआइ को थानल फाउंडेशन से सक्रिय सहयोग मिलता है। थानल फाउंडेशन पीएफआइ के एक नेता द्वारा चलाया जा रहा एक धार्मिक व धर्मार्थ ट्रस्ट है। जाहिर है थानल फाउंडेशन के वित्तीय स्त्रोतों की जांच भी शुरू हो गई है।