अपने रणनीतिक साझेदार और मित्र देश अमेरिका के गुस्से की चिंता किए बगैर अगर भारत ईरान के साथ हमदर्दी दिखाने में जुटा है तो इसके पीछे भी कश्मीर मुद्दा है।
नई दिल्ली। अपने रणनीतिक साझेदार और मित्र देश अमेरिका के गुस्से की चिंता किए बगैर अगर भारत ईरान के साथ हमदर्दी दिखाने में जुटा है तो इसके पीछे भी कश्मीर मुद्दा है। पाकिस्तान ने हाल ही में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से बात की है कि इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी में कश्मीर पर विशेष बैठक बुलाई जाए। अगर ऐसा होता है तो भारत को ईरान की मदद चाहिए जो ओआइसी का एक बड़ा सदस्य है और उसने पहले भी इस मुद्दे पर मदद की है।
भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय कारोबार से जुड़े मुद्दों पर हुई बात
सनद रहे कि अमेरिकी तनाव के बावजूद ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ भारत के तीन दिनों के दौरे पर आए हुए हैं। बुधवार को वह पीएम नरेंद्र मोदी से मिले और गुरुवार को उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर की टीम से मुलाकात हुई। इसमें द्विपक्षीय कारोबार से जुड़े मुद्दों पर सबसे ज्यादा बात हुई है। ईरान पर अभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध है, इसकी वजह से ईरान के लिए सबसे ज्यादा जरुरी अभी कारोबार है।
यही नहीं, नई दिल्ली में ईरान के विदेश मंत्री की रूस, यूरोपीय संघ समेत कई देशों के विदेश मंत्रियों से बात हुई है। पिछले दिनों अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव और युद्ध की आशंकाओं पर भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने कहा था कि उनका देश (ईरान) अमेरिका-ईरान के बीच तनाव को कम करने को लेकर भारत की किसी भी शांति पहल का स्वागत करेगा।
वर्तमान तनाव के कारण ईरान को सैकड़ों अरबों डॉलर का नुकसान
दिल्ली आयोजित रायसीना डायलॉग-2020 में अमेरिका की आलोचना करते हुए ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कहा कि सुलेमानी की हत्या ने अज्ञानता और अहंकार दिखाया। अमेरिका ने परमाणु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धता नहीं रखी। अमेरिकी सौदे को खुद अमेरिका ने तोड़ दिया। यदि हम ट्रंप से सौदा करते हैं तो यह कब तक चलेगा? हमें इस क्षेत्र में आशा पैदा करने की जरूरत है। हमें निराशा से छुटकारा पाना होगा।
जरीफ ने कहा कि वर्तमान तनावों के कारण ईरान को सैकड़ों अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि सुलेमानी आइएसआइएस के लिए सबसे बड़े खतरा थे। उनकी हत्या पर अब आतंकवादी समूह और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जश्न मना रहे हैं।
ईरान ने किया था अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ईरान उन मुल्कों में था, जिसने इस फैसले का विरोध किया था। इस तरह वह पाकिस्तान के विरोध के साथ दृढ़ता से खड़ा था। इसके बावजूद पाकिस्तान अमेरिका और ईरान के संघर्ष में तेहरान का खुलकर समर्थन नहीं कर पा रहा है क्योंकि सऊदी अरब भी तेहरान के निशाने पर है। वहीं दूसरी ओर सऊदी अरब और पाकिस्तान की गाढ़ी दोस्ती दुनिया में जगजाहिर है। अमेरिका ने अगर ईरान में किसी भी तरह का हमला किया या युद्ध जैसे हालात पैदा किए तो उसका नुकसान सऊदी अरब को सबसे ज़्यादा होगा। ऐसे में पाकिस्तान किसी हाल में सऊदी अरब को संकट में नहीं डाल सकता।